लोगों ने समझा लाश लेकिन जिंदा निकली महिला, 12 घंटे में 10 किमी तक नदी में बहती रही
हड्डियां जमा देने वाले इस सर्द मौसम और बर्फ हो चुकी नदी के पानी में तैरती महिला...और गंगा नदी की धारा में बहती महिला को निकालने की मछुआरों की मशक्कत....नाव पर सवार मछुआरे किसी उसे नदी से निकालकर नाव पर लेकर आते हैं. हैरत की बात थी कि महिला जिंदा थी. हैरान कर देने वाला यह वाकया बिहार के वैशाली जिले का है.
महिला गंगा नदी के बर्फ जमा देने वाले जैसे ठंडे पानी में 12 घंटे तक तैरती रही. करीब 10 किलोमीटर दूर मौत के करीब पहुंची इस महिला को मछुआरों ने जिंदा बचा लिया.
महिला का नाम अनिता देवी है. राघोपुर दियारा की रहने वाली ये महिला देर शाम गंगा नदी पर बने पीपा पुल से गुजर रही थी. चक्कर आने की वजह से ऑटो से उतरकर पीपा पुल पर बैठ गई. इतने में पैर फिसला और नदी में जा गिरी. रात भर महिला नदी में तैरती रही.
राघोपुर पीपा पुल से करीब 10 किलोमीटर दूर सुबह-सुबह मछुआरों की एक टोली ने इस महिला अनिता देवी को पानी की धारा के साथ बहते देखा और नदी से निकाला. इस पूरी घटना को मछुआरों की टोली में से एक मछुआरे ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया.
रात भर नदी के ठंडे में रहने के बाद महिला की हालत बेहद नाजुक दिख रही थी. महिला को आनन फानन में स्थानीय अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने गर्म कपड़ों और हीटर की मदद से नई जिंदगी दी
जब नए साल की शुरुआत किसी की तेरहवीं से की जाए
फिल्म की कास्ट ऐसी है कि अभी टिकट बुक कर लेंगे.
न्यू ईयर पर एक फिल्म आ रही है. नाम है ‘राम प्रसाद की तेरहवीं’. कल ही इसका ट्रेलर भी आया. जितना हटके फिल्म का नाम है, वैसा ही कुछ ट्रेलर भी है. इसी पर बात करेंगे. बताएंगे आपको ट्रेलर कैसा है, फिल्म में कौन-कौन है, और इसे बनाया किसने है. एक-एक कर शुरू करते हैं.
ram prasad ki tehrvi trailer
फैमिली में हुई डेथ और उसके बाद होने वाली घटनाओं की कहानी. फोटो – ट्रेलर
क्या है ट्रेलर में?
शुरू होती है एक घर से. हाल ही में किसी की डेथ हुई है. घर के लोग क्रियाकर्म की तैयारी में लगे हैं. तभी एक औरत का वॉयसओवर शुरू होता है. मरने वाले शायद इनके पति थे. बताती हैं कि रात तक ठीक थे, अचानक चले गए. फिर एंट्री होती है इनके 6 बच्चों की. इनका एटिटयूड ऐसा कि मानो कुछ हुआ ही ना हो. क्रियाकर्म के लिए लकड़ी लेने गए, पर मोल भाव में फंस गए. अपने बाबूजी की पूजा में सेल्फ़ी सेशन शुरू कर दिया. ये देखकर मां अपसेट होती हैं. कहती हैं,
ऐसा लग रहा है जैसे कोई शादी ब्याह, जश्न की बात हो.
बच्चों का ‘अपनी मस्ती में मस्त’ वाला रवैया है.
ऐसे और भी मोमेंट्स हैं. जहां परिवार है एक छत के नीचे. पर उनके बीच की दूरियां उभर कर दिख रही हैं. इनकी मां अपने पति को सही मायने में श्रद्धांजलि देना चाहती है. ऐसा कैसे कर पायेंगी, यही आगे की कहानी है.
कैसा है ट्रेलर?
एकदम सिम्पल. ज़्यादा बनावटी बनाने की कोशिश नहीं की गई. जैसा है, वैसा दिखाया. कहानी मिडल क्लास फैमिली की है. इस मामले में कमाल डिटेलिंग की है. चाहे पहनना ओढ़ना हो. या फिर घरों में चलने वाली नोक झोंक. सब पर नपा तुला काम हुआ. फिल्म में एक अलग किस्म का ह्यूमर भी है. जैसे पिता की डेथ हुई. तेरहवीं का दिन पड़ रहा है नए साल पर. एक का सवाल आता है कि लोग नए साल पर जश्न मनाएंगे. उनके नए साल की शुरुआत तेरहवीं से करेंगे क्या. ऐसे और भी सीन हैं. पहली बार देखने पर हंसी आए. पर थोड़ा सोचेंगे तो गुज़रने वाले के लिए अफसोस होगा.
सिर्फ मां ही है जो अफसोस जता रही हैं.
कौन-कौन हैं?
कास्ट लंबी है. और उतनी ही दमदार. पिता बने हैं नसीरुद्दीन शाह. वहीं मां का रोल किया है सुप्रिया पाठक ने. इनके अलावा कोंकणा सेन शर्मा, विनय पाठक, मनोज पाहवा, विक्रांत मैसी, बृजेन्द्र काला, विनीत कुमार भी फिल्म का हिस्सा हैं.
‘कहानी’ वाले इंस्पेक्टर यानि परंब्रत चैटर्जी भी फिल्म का हिस्सा हैं.
बनाई किसने है?
सीमा पाहवा ने. उन्होंने ही लिखी और डायरेक्ट की. ‘बाला, ‘बरेली की बर्फ़ी’, ‘आंखों देखी’ जैसी फिल्मों में बतौर एक्टर काम कर चुकी हैं. इंडिया के पहले सोप ओपेरा ‘हम लोग’ का भी हिस्सा थी. डायरेक्शन की पारी की शुरुआत इस फिल्म से कर रही हैं.
फिल्म 1 जनवरी, 2021 को थिएटर्स में रिलीज़ होगी. अगर अब तक ट्रेलर नहीं देखा, तो यहां देख सकते हैं
रेपिस्ट आसाराम का बैनर लगाकर कंबल बांटे, सवाल उठे तो पुलिस हकबकाई
जेल में कुछ इस तरह से बांटे गए कंबल.
उत्तर प्रदेश का शाहजहांपुर. यहां ज़िला कारागार का एक भयंकर कारनामा सामने आया है, जिसके बाद से जेल प्रशासन की बड़ी किरकिरी हो रही है. दरअसल, 21 दिसंबर को जेल में रहने वाले 75 कैदियों को कंबल बांटे गए. यहां तक तो ठीक था. लेकिन दिक्कत तब खड़ी हुई, जब ये बात सामने आई कि ये कंबल बांटने का काम रेप के दोषी आसाराम के लखनऊ स्थित आश्रम ने किया है. तस्वीरें भी सामने आईं, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि जेल के अंदर आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाया गया और फिर कंबल बांटे गए.
‘इंडिया टुडे’ से जुड़े विनय पांडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी खबर भी सामने आईं कि जेल के अंदर सत्संग भी किया गया था. वहीं पुलिस अधीक्षक की तरफ से इस कार्यक्रम के सिलसिले में जो प्रेस नोट जारी किया गया, उसमें भी आसाराम के नाम का ज़िक्र किया गया. नोट को देखकर तो लग रहा है कि कंबल बांटने के इस कार्यक्रम को जेल प्रशासन ने सरकारी बना दिया हो. बाकायदा लिखा गया
“संत श्री आसाराम बापू आश्रम, लखनऊ के द्वारा ज़िला कारागार शाहजहांपुर में कंबलों का वितरण किया गया.”
सोशल मीडिया पर कंबल वितरण के कार्यक्रम की तस्वीरें और पुलिस का प्रेस नोट काफी वायरल हो रहा है. तस्वीरों में पुलिस वाले भी बैठे नज़र आ रहे हैं. जेल प्रशासन की बड़ी किरकिरी हो रही है. ये जान लीजिए कि शाहजहांपुर की ही लड़की के रेप के मामले में आसाराम को दोषी करार दिया गया था. इसी सिलसिले में आसाराम को उम्रकैद की सज़ा भी सुनाई जा चुकी है. कंबल बांटने और इस दौरान हुए कार्यक्रम को लेकर पीड़ित लड़की के पिता ने आपत्ति जताई है. जांच की मांग भी की है.
पुलिस क्या कहती है?
जेल अधीक्षक राकेश कुमार से जब सवाल किया गया, तो उन्होंने सत्संग वाली बात पर साफ इनकार कर दिया. कहा कि केवल कंबल बांटे गए. अधीक्षक ने कहा,
“कल कुछ लोग आए थे, केवल कंबल बांटे गए हैं. एक यहां बंदी बंद था नारायण पांडे. वो करीब आठ महीने पहले यहां से छूट करके गया था. तो उसने कहा था कि साहब जेल में कुछ कंबल बांटना चाहते हैं. तो उसने कंबल भिजवाए थे, वही बांटे गए. किसी प्रकार का कोई प्रवचन, कोई महिमा-मंडन, कोई पत्रिकाएं या ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं किया गया. 75 कंबल आए थे, वो सभी लोगों को बांट दिए गए.”
अधीक्षक से जब पूछा गया कि जेल के अंदर चूंकि मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं है, तो सोशल मीडिया में जो फोटो वायरल हो रही है, वो कैसे ली गई. इस पर अधीक्षक ने जवाब दिया,
“फोटो के लिए तो सरकार ने विभाग को डिजिटल कैमरा भी दे रखा है, तो हो सकता है कि उसी से फ़ोटो खिंचवाया हो.”
अधीक्षक जी ने जिस नारायण पांडे का ज़िक्र किया है, उसपर केस के गवाह कृपाल सिंह की हत्या करने का आरोप है. ज़मानत पर जेल से बाहर है.

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